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श्रवण सा पुत्र जहान में, कोई होया न होवै आगे।,
श्रवण सा बेटा जहान में, कोई होया न हो सी आगे।।टेर।।
मिथिला पुर के पास, करै था वास, बिप्र बिप्राणी।
थे नैणो से अंधे, भजे हरि वाणी।
उन पुत्र जन्मा एक, राखै टेक, उम्र थी यानी।
उसका था श्रवण नाम, पढण की ठानी।
चल काशी पूरी सिधाया, गुरु ने कर के प्रेम पढ़ाया।
पढ़ घर का मता उपाया, रस्ते में ग्राम एक आया।
हो गयी शाम, आ गया ग्राम, विश्राम करण की लेई जचाय।
जा ब्राह्मण घर, राम राम कर, बिस्तर अपना दिया जचाय।
आया घर का धणी, क्या कहूँ घणी, बणी सो खातिर देई बणाय।
आ बैठ्या पास, ले लम्बा सांस, वो था उदास कुछ मन के मांय।
बोल्या बिप्र, क्या करूं जिक्र, एक बड़ा फ़िक्र मुझे रह्या सताय।
घर में हानि, कन्या स्याणी, उसको ब्याहणी क्या करूं उपाय।
बोले श्रवण कुमार, कर घणो प्यार, होय विचार तो द्यो परणाय।
रोली मोली, जल्दी घोली, चावल मोली लिया मंगाय।
बान बैठाया, मंगल गाया, निज घर आया करके ब्याह।
आ पहुंचे निज स्थान में, बहु पगा सास के लागै।
श्रवण सा पुत्र जहान में, कोई होया न होवै आगे।
श्रवण सा बेटा जहान में, कोई होया न हो सी आगे।।टेर।।
बहू धर कर देख्या ध्यान, टुटेड़ी छान, देख चकराई।
बड़ाजुल्म किया माँ पाप, इसे परणाई।
पहले नहीं की बात, अंधा पितु मात, सुनो निजराई।
यह हुई गजब की बात, मनै यहाँ ब्याही।
मेरे पड्या भाग का फंदा, मिल्या सास ससुर दोन्यूअँधा।
मुझसे होवै ना इनका धंधा, दिल देख होय शर्मिंदा।
धंधा न होता, मुझसे बंदा, तू दिन्या जुलम मचाय।
मात पिता है तेरे अंधा, क्यूँ ल्यायो है मुझको ब्याय।
अंधा पाया जी घबराया, तू ल्याया है जाळ बिछाय।
सुण ऐ नारी, बोले खारी, हत्यारी सुन ध्यान लगाय।
मात पिता कैसे होते है, सुणलै प्यारी कान लगाय।
मात पिता मिल देव मनाता, दाता सेती ध्यान लगाय।
श्री ठाकुर तुम दया करो तो, मेरे भी एक पुत्र हो ज्याय।
रहज्या आशा, नौ दस मासा, माता फिरती घोर उठाय।
जन्म कन्हैया, लेती बलैया, मन में रखती मोद मानय।
दिन रात रहे कल्याण में, गोदी रखती सागै।
श्रवण सा पुत्र जहान में, कोई होया न होवै आगे।
श्रवण सा बेटा जहान में, कोई होया न हो सी आगे।।टेर।।
बच्चा पीवै दूध, ना रहे सुध, बो रात्यूं मुतै कपड़ा मांय।
गिलै में माता सो ज्याती, सूखा देती तळै बिछाय।
पाल पोस, आवै होश, चढ़ै जोश देवै ब्याह करवाय।
नारी खोटी, बुद्धि मोटी, सास सुसर नै दे छिटकाय।
सुनकर बानी, भयी रिसानी, मेरे कानी बोल्यो नाय।
मात पिता को सीरी होगो, मेरी तो ना पार बसाय।
मन मैं खोट, चाबे होठ, ज्यूं लोट सर्पणी रही लगाय।
कामल काली, खूब रंगाली, लाली उस पर चढ़ती नाय।
रंग धमासा, उतरे न मासा , चाहे ख़ासा ल्यो धुलवाय।।
चाहे ज्ञान घोलकर पा द्यो, कलिहारी की कलह न जाय।
ज्यूं तेग निकल ज्यावै म्यान से, दिन रात कुटिलता जागै।
श्रवण सा पुत्र जहान में, कोई होया न होवै आगे।
श्रवण सा बेटा जहान में, कोई होया न हो सी आगे।।टेर।।
गयी कुम्हारी के पास, मेरी तू सास, धरम की माई।
तेर से पड़ गया काम, चाल कर आयी।
एक हंडिया घड़ दे मोय, पुड़त हो दोय, करो चतुराई।
ले सी सो देस्यूँ दाम, साथ में ल्याई।
ले हंडिया घर को आई, चूल्हे ल्याय चढ़ाई।
एक तरफी राब रंधाई, एक तरफी खीर घुलाई।
बोल्यो है श्रवण पिता, सुण ले बेटा मेरी बात।
तनै ब्याह्यां पाछै बेटा, खीर कोनी लागी हाथ।
दोन्यूं वकतां राबड़ी से, सूख गयो म्हारो गात।
बोल्यो है श्रवण पिताजी, जान क्यों भये अनजान ।
आंख्यां से तो सूझै कोनी, हिये को भी निकल्यो ज्ञान।
सात बीसी गायां मैंने, हाथ से चराई है।
तनै ब्याह्यां पीछे बेटा, खीर नहीं खाई है।
झूठ कोनी बोलूं मुझे, राम की दुहाई है।
एक दिन श्रवण ऐसी, अकल उपाई है।
आप वाली थाली लेके, पिता को पकड़ाई है।
पिता वाली थाली लेके, आप सरकाई है।
मारयो है सबड़को एक, खाटी राबड़ी लखाई है।
जा हे हत्यारी नारी, कीनी कुटलाई है।
अंधे माई बाप को तू, राबड़ी खुवाई है।
पाएगी करनी का फल, जैसी तू कमाई है।
क्यूँ जान पड़ी अनजान तू, तेरा किया करम सब सागै।
श्रवण सा पुत्र जहान में, कोई होया न होवै आगे।
श्रवण सा बेटा जहान में, कोई होया न हो सी आगे।।टेर।
तू चालै तो चाल, पीहर देवूं घाल, पीहर चली जारी।
मैं करस्यूँ इनकी टहल, बणै सो सारी।
तू कीन्या खोटा पाप, अंधे माँ बाप, सताया नारी।
तू इस करनी का भोग, भोगना प्यारी।
नार को पीहर तो पहुँचाई, एक कावड़ लेई बनाई।
बूढ़े मात पिता को बिठाई, तीरथ की सूरत लगाईं।
हरिद्वार से हो गए पार, ऋषिकेश धार लिया गोता ल्याय।
लक्ष्मण झूले, लगे हिण्डोले, पर्वत ओले की शीश नवाय।
केदार नाथ, ले अपने साथ, फिर बद्रीधाम को पहुंच्या जाय।
बद्री धाम का करके दर्शन, सारा दीजे पाप गँवाय।
मात पिता की सेवा करिये, उनका बदला उतरे नाय।
गोपीराम कहे सुबह शाम, हरि के चरणों में ध्यान लगाय।
रखो हरी भगति को ध्यान में, भाज्यां कृष्ण पाप सब भागै।
श्रवण सा पुत्र जहान में, कोई होया न होवै आगे।
श्रवण सा बेटा जहान में, कोई होया न हो सी आगे।।टेर।